Aabtak Khabar,9 February,हावड़ा: राज सरकार की तरफ से स्वास्थ्य के ऊपर विशेष ध्यान दिया जाता है पर वही उत्तर हावड़ा में बिमलकृष्ण बनर्जी और नंदा देवी रानी चेस्ट टीवी अस्पताल जो हावड़ा और बाली के मध्यांतर 62 नंबर वार्ड में पड़ता है। यह 16 नंबर कालीमजुमदा रोड के टीवी अस्पताल प्रशासन की लापरवाही से बंद पड़ा है इस अस्पताल में 1990 तक लोगों को सेवाएं मिलती रही।

फिर धीरे-धीरे यह बंद हो गया। वहां पर लोगों ने अस्पताल स्थल पर पार्किंग, गैरेज स्थापित किये हुए है। राज्य सरकार व प्रशासन की ओर से अभी तक कोई पहल नहीं की गई है। वह रोड का नाम कालीमजुमदा रोड है। यह रोड तकरीबन 40 से 50 फीट चौड़ाहै। और एक से डेढ़ किलोमीटर लंबा जो कि सीधे जी टी रोड से संपर्क है। आज तक नहीं स्वास्थ्य विभाग हो या प्रशासन किसी की भी नजर उस टी वी के अस्पताल पर नही हैं। वहां की जनता का कहना है की कभी कभी सर सफाई के लिए लोग आते है सफाई कर के चले जाते है पर अस्पताल मे कोई डॉक्टर नहीं बैठता है। हावड़ा और बाली के मध्यांतर में हम लोग रहते हैं।

यहां की जनता नगर निगम को शुल्क देते हैं। लोगो वोट देते हैं। फिर भी हम लोगों को देखने वाला कोई भी प्रशासन नहीं है। कहे जाने के लिए हमलोगों हावड़ा जिला में रहता हूं पर यहां की रोड रास्ता गांव से भी खराब है। कोई भी इमरजेंसी पड़ता है। तो यहां कोई भी सवारी आना नहीं चाहती। हम लोगों को इससे भी ज्यादा मुसीबत झेलनी पड़ती है। बरसात के समय इस रास्ते में कब दुर्घटना हो जाए कोई नहीं जानता।

कुछ वर्ष पहले रोड बना था पर इतना चौड़ा रोड है। पर आधा रोड व्यवसाई ने कब्जा कर रखे हैं। आधा रोड की हालत खराब है यहां एक सरकारी टी वी अस्पताल है। जब सरकार की निगाह राज्य सरकारी अस्पताल पर नहीं है तो यह रोड कैसी ठिक होगी। वहां का लोगों का कहना है कोविड का समय है हावड़ा में एक भी अस्पताल नहीं है। एक जसवाल अस्पताल था। जिसे कोविड अस्पताल बना दिया गया है।

इसी अस्पताल को जेनरल अस्पताल बना दिया जाता तो अच्छा होता क्योंकि हावड़ा जिले में कोई भी अस्पताल नहीं है। किसी को कुछ भी हो जाए तो उसे हावड़ा जिला अस्पताल में जाना पड़ता है इस क्षेत्र में पूरा कल करखाना है। हर रोज किसी को ना किसी को चोट लगता है। उसे हम लोग कहां चिकित्सा कराएंगे हावड़ा अस्पताल यहां से तीन-चार किलोमीटर की दूरी पर है। रोड रास्ता के कारण सवारी भी नहीं आना चाहता हम लोगों को बहुत परेशानी झेलनी पड़ती है। मीडिया में खबर चलने के बाद भी प्रशासन की कोई निगाह नहीं है।